Tuesday, April 8, 2014

प्रेत हीं प्रेत - कुमार सच्चिदानंद सिंह

दमित वासनाओं
कुचली हुई कामनाओं
जली हुई इच्छाओं
का प्रतिरुप में
धुमता हुँ सृष्टि में
निरन्तर
उन्मुक्त, स्वच्छंद।
मैं अदृश्य, अनार्स्पर्श
हवा से भी सूक्ष्म 
तड़ित का सा वेग
न भौतिक आस्तित्व
न पदचाप
और न प्रताड़ना की कामना
फिर भी
डरते हैं मुझसे लोग
आखिर क्यों ?
जब तक बजूद था मेरा
उस संसार में
अग्रज या अनुज की
भूमिका मेरी भी रही
लेकिन मरने के बाद
मुझे गैर समझ
जातिच्यूत कर दिया गया
मेरे नाम पर
दरवाजे और खिड़कियाँ 
बन्द होने लगें 
अँधेरा, सन्नाटा 
एकान्तिकता
को मेरा साम्राज्य माना गया ।
मैं भटकता रहा हूँ 
अपनी तथाकथित
भयानक आँखों से 
संसार को देखता हूँ तो
यह राज समझ में आया
कि यह जो इन्सान है,
जीवित होने का जिसे अभिमान है,
वे मुझसे दूर कहाँ -
बासनाओं
कामनाओं
कुण्ठाओं
का प्रतिरुप यह
भागता है, दौड्ता है
उड्ता भी है
डोर कटी पंतग की तरह
निरन्तर
यद्यपि अन्धाकार पर
विजय प्राप्त करली है उसने
लेकिन मन का अँधेरा
बना लिया है बेशुमार
प्रकृति से परम्परा तक
प्रेम से प्रणय तक
अपनो से गैरों तक
सभी उसके लक्ष्य हैं,
माध्यम हैं
या हथियार । 
मैं खुश हूँ कि 
धरती पर 
असंख्य है अनुचर
या मेरा सजातीय,
मुझसे भी आगे हैं
उनके कदम दो चार 
उनके कदम दो चार
शुक्रिया ऐ संसार । 



Wednesday, March 26, 2014

वीरगंज (नेपाल) में हास्य कवि सम्मेलन


१५ मार्च २०१४, रंगों का त्योहार होली के अवसर पर इसकी पूर्व संध्या में 'नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद्, वीरगंज' द्वारा स्थानीय अतिथि सदन के सभागार में 'हास्य कवि सम्मेलन' का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता परिषद् के अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश सिकरिया ने की जबकि प्रमुख अतिथि के रूप में साहित्यप्रेमी श्री अशोक वैद्य मंचासीन थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपमहावाणिज्य दूत श्री जसवंत सिंह एवं कन्सुल द्वय श्री पी. डी. देशपाण्डे तथा एस. एम. अख्तर एवं के. सी. टी. सी. महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं डा. हरीन्द्र प्रसाद हिमकर मंच पर उपस्थित थे। आमंत्रित कवियों में चोंच गयावी, गोपाल अश्क, इन्द्रदेव कुँवर अभियन्ता, शहजाद गुलरेज, डा. लटपट ब्रजेश, रितेश त्रिपाठी, आसनारायण प्रसाद आदि कवियों ने अपने गीत, गजल एवं व्यंग्यात्मक कविताओं से उपस्थित जन समुदाय का भरपूर मनोरंजन किया। इस आयोजन में नव हस्ताक्षर के रूप में कुमारी विजेता ने उत्कृष्ट कविता का वाचन किया। इस कवि सम्मेलन में शब्दों की बाजीगरी देखी गयी , शब्दों से ही फागुन के रंग उड़े, हास्य की फुलझडियाँ छूटीं और व्यंग्य  तीर चले । राजनीति और समाज के विभिन्न पहलुओं पर हास्य और व्यंग्य मण्डित रचनाओं के द्वारा कवियों ने श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया । सम्पूर्ण कार्यकंम का संचालन कुमार सच्चिदानन्द सिंह ने किया । 'हिमालिनी की प्रबन्ध निदेशक श्रीमती कविता दास ने भी इस कार्यक्रम में अपनी सहभागिता दी । 'नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद' का यह एक सफल आयोजन था जिसमें भाषायी पूर्वाग्रह से मुक्त होकर श्रोताओं ने हिन्दी कविता का रसास्वादन किया । सभा के अन्त में डा.शिवशंकर यादव ने धन्यवाद ज्ञापन किया।